Thursday, July 2, 2009

पीछेसे वार मंज़ूर नही...

अँधेरों इसके पास आना नही,
बुझनेपे होगी,"शमा"बुझी नही,
बुलंद एकबार ज़रूर होगी,
मत आना चपेट में इसकी,
के ये अभी बुझी नही!

दिखे है, जो टिमटिमाती,
कब ज्वाला बनेगी,करेगी,
बेचिराख,इसे ख़ुद ख़बर नही!
उठेगी धधक , बुझते हुएभी,
इसे पीछेसे वार मंज़ूर नही!

कोई इसका फानूस नही,
तेज़ हैं हवाएँ, उठी आँधी,
बताओ,है शमा कोई ऐसी,
जो आँधीयों से लड़ी नही?
ऐसी,जो आजतक बुझी नही?

सैंकडों जली,सैंकडों,बुझी!
हुई बदनाम ,गुमनाम कभी,
है शामिल क़ाफ़िले रौशनी ,
जिन्हें,सदियों सजाती रही!
एक बुझी,तो सौ जली..!

4 comments:

मुकेश कुमार तिवारी said...

शमा जी,

बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ है :-

सैंकडों जली,सैंकडों,बुझी!
हुई बदनाम ,गुमनाम कभी,
है शामिल क़ाफ़िले रौशनी ,
जिन्हें,सदियों सजाती रही!
एक बुझी,तो सौ जली..!


सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

gargi gupta said...

उठेगी धधक , बुझते हुएभी,
इसे पीछेसे वार मंज़ूर नही!

क्या बात है सच को बहुत ही खुबसूरत अंदाज से ब्यक्त किया है आप ने

मुकेश कुमार तिवारी said...

शमा जी,

आपने बहुत ही जर्रानवाजी की इस ख़ाकसार की, शुक्रिया।

वैसे, मैं तो हमेशा यही चाहता रहा कि मैं जो लिखूं वह पढा जाये और अनुभव किया जाये। आपकी टिप्पणी मेरी सोच को सार्थकता प्रदान करती लगी।

आपका "कवितायन" पर स्वागत है और मुझे भी आपकी सार्थक टिप्पणियों का इंतजार रहेगा। शमा की कवितायें बुलंदियों को हासिल करें यही दुआयें है।

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

'sammu' said...

ग़ालिब ने कहा
शम्मा हर हाल में जलती है सहर होने तक ......

होने से पहले सहर
मिटने से पहले अय शमा
खोल तो राज़ कोई
रात के अफसानो का .

तू बुझे जब भी बुझे
बुझने से पहले लेकिन
कुछ फ़साने तो सुना
जल चुके परवानों का

उनको मालूम भी था
देख के रोशन तुझको
रोशनी ही है पता
मिट चुके अरमानों का

वो ही फानूस थे
मिट कर तुझे बुझने ना दिया
शान रक्खी थी धरम
रक्खा था दीवानों का

2 comments:

ओम आर्य said...

बहुत ही बेहतरीन कविता प्रस्तुत की है आपने जिसमे भाव उमड घुमड रहे है .....................शान रखी थी धरम

रखा था दिवानो का

वाह क्या बात है.............

cartoonist anurag said...

shama ji aapne gajab ki rachana kari hai....
aapki taareef k liye mere pas shabd nahi hai...
mujhe aapki rachna intnee achhi lagi ki ise kai bar padha......

aage bhee aapki sunder rachnaye padta rahoonga.....